गाजीपुर: वाचनालय के नाम पर सैकड़ों ग्राम पंचायतें महज कागजी संचालन कर रही हैं इसके एवज में उन्हें हर साल दो हजार रुपये दिये जाते हैं। जबकि किसी भी ग्राम पंचायत में इस धनराशि का कोई रिकार्ड नहीं है। सरकार सम्बन्धित विभाग से बार-बार दी गयी धनराशि का हिसाब मांग रही है लेकिन अधिकारियों के कई बार प्रयास के बाद भी ग्राम पंचायतें खर्च की गयी धनराशि का बिल बाउचर नहीं दे पा रही है। शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता का प्रतिशत बढ़ाने को लेकर प्रयास किया जा रहा है लेकिन ग्राम पंचायतों में पुस्तकालय व वाचनालय नहीं के बराबर हैं। जो खुले थे, वह भी बंद हो गये है। ग्राम पंचायतों में जो युवक मंगल दल पंजीकृत हैं, उन्हे शासन द्वारा 2000 रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी जाती है। जिससे कि वह वाचनालय व अन्य सामाजिक कार्यो को कर सके। वहीं पंजीयन कराने वाले युवकों का कहना है कि वह इतनी कम धनराशि से क्या करे। सवाल उठता है कि शासन से मिलने वाली राशि कहां जाती है। इसका जवाबदेह कोई नहीं है। प्रधानों का कहना है कि जिले में 250 ग्राम पंचायतों में युवक मंगल दल व महिला मंगल दल का गठन हुआ है लेकिन सभी दलों को धनराशि नहीं मिल पाती है। वर्ष में मात्र 2000 रुपये मिलते है। इतनी कम राशि से कुछ भी नहीं हो सकता है। पिछले दस वर्षो से इसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। ग्राम प्रधान संघ के प्रदेश महासचिव अरविंद सिंह का कहना है कि वाचनालय की धनराशि पंचायतों को मिलती है लेकिन उसके खर्च की जिम्मेदारी उन्हें नहीं होती बल्कि युवक मंगल दल यह काम करता है। खर्च का हिसाब भी दल को ही देना होता है। जिला युवा कल्याण अधिकारी शशिभूषण शर्मा ने बताया कि बीते वर्ष विभिन्न ब्लाकों के 82 ग्राम पंचायतों को एक लाख 64 हजार रुपये दिये गये वहीं सन 2009-10 में 96 ग्राम पंचायतों को एक लाख 92 हजार रुपये ग्राम निधि खाता संख्या प्रथम में दिये गये लेकिन ग्राम पंचायतों ने प्राप्त धनराशि का उपभोग प्रमाण पत्र नहीं दिया जबकि शासन से इसके लिये कई बार पत्र आ चुके हैं। http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7567215_1.html
Tuesday, 12 April 2011
रकम ली खरीदने को किताब,नहीं दिया हिसाब
Mohammad Shahanshah Ansari
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